Sunday, February 3, 2013

मैं नारी हूँ ....

मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा यह सारा संसार 
विश्व में मुझसे  चलती जीवन की  रफ़्तार 

फिर भी मुझे कोई कहता, ढंग से रहना 
हर बार सलाह, कपडे भी ढंग के पहनना
मेरे मन में क्या हैं? अब कैसे करू इजहार
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार

मैं सरस्वती, अम्बा, सीता, कई है मेरे रूप
मैं वो सूरज की किरण, मैं जीवन,मैं ही धुप
जीती हूँ लेकर हर्ष  के किरण का इन्तजार
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार 

मैं हूँ सीता, पती के लियें वनवास ले लिया
पती के लियें जिसने सुख को त्याग दिया
फिर कहते हैं, लक्ष्मण रेखा मत कर तू पार  
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार

भाई के लिए छोड देती हैं जो अपना ही  घर 
देखते हैं सब मुझे घरमें परधन समझ कर 
कब होगी शादी, बाप को रहता हैं इन्तजार 
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार 

माँ हूँ, संतान का दर्द जीवन भर सहती हूँ 
जब बच्चों के लियें कई बार भूखी रहती हूँ 
सोचती बुढ़ापेमें कौन देगा सहांरा और प्यार 
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार 

मैं नारी हूँ, अग्नि परीक्षा में जलती हूँ 
मैं नारी हूँ , इस बुरी नज़र में पलती हूँ 
विश्व में मुझपे ही चलती बुराई  की रफ़्तार 
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार 

अब मुझे खुद लड़कर बुराई को हैं जलाना 
अब मुझे काली बन,असुर को हैं  हराना 
मैं नारी हूँ, अब  शक्ती देखेगा सारा संसार 
विश्व में अब  थमेगी इस बुराई की रफ़्तार 
मैं नारी हूँ,  मुझमें है समा  यह सारा संसार 
विश्व में मुझसे चलती जीवन की  रफ़्तार 




7 comments:

  1. बहुत अच्छी रचना .....

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  2. बेहद प्रभाव साली रचना बहुत अच्छी रचना .....


    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

    .

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