Saturday, November 14, 2009

चाय साब! पेशल चाय!



एक गाँव में नया बालभवन बनया गया, और उसके उदघाटन  के लिए मंत्रीजी को आमंत्रित किया गया. उस उदघाटन समारंभ का  इंतजाम  गाँव के सरपंच के जिम्मे था.सरपंच के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. सरपंच मन ही मन में सोचने लगा की,मंत्रीजी ने अचानक ही  कैसे ? रातोरात पूरा इंतजाम... शायद मुझे ही मौका मिलता...
       गाँव में  खबर हवा की तरह  फ़ैल गयी की मंत्रीजी आने वाले हैं.  बाल दिवस के अवसर पर. गाँव के सरपंच  ने तत्काल सभी लोगो को आमंत्रित किया और कहने लगे.
"कल हमारे गाँव में मंत्रीजी आ रहे हैं, बालभवन के उदघाटन के लिए. मैं सभी लोगों से निवेदन करता हूँ की  आप  लोग उपस्थित  रहकर गाँव की शोभा बढायंगे, येही मेरी आशा हैं  ".
रातोरात टेंट तैयार  हो गया और लोगों के बैठने का भी इंतजाम भी हो गया. नेता को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा मैदान  लोगोसे भर गया.  कुछ समझदार लोग  अभी अभी आ रहे थे शायद उन्हें पता था की मंत्री का वक्त यानि   बेवक्त की बरसात.   उसके बाद हमारे मंत्री साहब आ गए ओ भी  तक़रीबन दो घंटे देरीसे.  मंत्री का स्वागत बाल गोपलोने  गाना गाकर किया.  सरपंच ने मंत्री साहब को नारियल देकर, गले में पुष्प माला दालकर   मंत्रीजी के हाथ में कैंची थमा दी. मन्त्री जी ने रिब्बन काट कर बालभवन के उदघाटन किया . मंत्रीजी अपना भाषण शुरू किये.
"प्यारे  भाइयो  और बहनों आज मेरा भाग्य हैं की मैं आपके बिच में हूँ . सबसे पहले मैं  आप लोगों से माफ़ी चाहता  हूँ की,  मैं समय  पर नहीं आ सका. क्यूँ की उसके लिए भी एक कारण हैं. एक बार, एक कर्यक्रम में गलतीसे  सही  वक्त पर पहुंचा, और मैं हैरान रह गया की वहां सिर्फ चार लोगों के सिवा कोई भी मौजूद नहीं था . उस  घटना  के बादसे मैंने यह निर्णय ले लिया हैं की, किसी भी कार्यक्रम को दिए गए  समय को उपस्थित नहीं रहूंगा . आज का दिन हमारे  लिए बहुत ही महत्व का हैं,  जिसे  बाल दिवस के रूप  में मानते हैं. और इसी मौके पर हमने जो बालभवन बनया, इसके पीछे   हमारा  उद्देश  यह हैं की, हम बाल मजदूरी जैसी  समस्या को जड़ से उखाड़ देंगे, इसलिए  हमने यह बालभवन बनया हैं.  क्यूँ की बच्चे मुफ्त मे शिक्षा ले सके. आप सभी  लोग से मेरा यह अनुरोध हैं की, सभी बच्चोंको बालभवन भेज कर उन्हें जरुर  पढाना. हामारी सरकार ने कई और बालभवन बनाना चाहती हैं, जो हर गाँव शिक्षा की तरफ बढ़ सके. मुझे यकीन  हैं की, आप सब ,मेरे बातों  से सहमत हैं.  आज हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद, गाँव गाँव में पाणी, बिजली और सड़क का काम बहुत  ही तेजी से किया हैं. आज हर घर में बच्चे  स्कूल जाते हैं.  यह तो हमारी सरकार के कामकाज का जरासा नमूना हैं.  अब आपसे एक गुजारिश करना चाहता  हूँ की, आप मुझे और मेरी पार्टी इसी तरह जीतायंगे.  मैं अभी मेरा भाषण समाप्त  करने की इजाज़त चाहता हूँ. क्यूँ की मुझे अभी आगले कार्येक्रम को जाना हैं.  वहां  लोग मेरा इन्जार कर रहें होगे.   जय हिंद! जय हिंद!"

 कार्यक्रम अच्छी तरह से संपन हुआ. सरपंच और उसके साथी बहुत ही खुश थे. एक साथी ने पूछा.
"सरपंचजी  इतना सब इतजाम कैसे  संपन हुआ, और ओ भी इतने कम समय में.

 "सबसे पहले मैं टेंट वाले को बुला लिया, उसे कहा रातोरात काम होना चाहिए, लेकिन उसने कहा साहब मेरे पास टेंट का सामन तो हैं, लेकिन लेबर्स  नहीं हैं.  फिर रामू से कहकर उसके होटल में काम करने वाले चार बच्चोंको बुलाकर रातोरात टेंट का काम करवाया".
"आपने सही किया! आखिर बाल दिवस का इंतजाम बच्चे ही तो करंगे, और कौन करेगा".
सभी ने हसीं का ठहका लगा  दिया, सरपंच ने इशारे से  ही  रामू को चार पेशल  चाय भेजने को कहा.  थोडीही देर में  एक दस साल का लड़का  चाय ले आया,  चाय का ग्लास सरपंच की और बढाकर बोला,
चाय साब! पेशल चाय!