Friday, November 27, 2009

नोबल पुरस्कार किसे........



नोबल पुरस्कार दुनिया का सबसे महान पुरस्कार हैं। और ओ केवल अच्छे कामों के लिए ही दिया जाता हैं। लेकिन हमारे एक नेता का कहना हैं की अगर गन्दगी के लिए पुरस्कृत करना हो तो भारत अव्वल नम्बर आता और नोबल पुरस्कार भी मिलता यह सब क्यूँ कहना चाहतें हैं। इस गन्दगी के लिए जिम्मेदार कौन? मैं उस नेता को पूछना चाहता हूँ की अगर रिश्वत लेने के लिए नोबल पुरस्कार होता तो किसे मिलता?



६ अगस्त १९४५ के दिन जापान के शहर हिरोशिमा पे परमाणु बम हमला हुआ था। उसके दो साल बाद हमारा भारत देश आज़ाद हुआ। आज अगर आप हिरोशिमा को देखते तो कहते, क्या वो वही शहर हैं, जो पुरी तरह तबाह हो गया था। अगर हम इससे तुलना करते हैं तो आज हिरोशिमा हमारे शहरोंसे १० से १५ साल आगे हैं। इसका मतलब यह हैं की हम तक़रीबन १० से १५ साल पीछे हैं।

एक बार जापान के PM और हमारे PM के बिच वार्तालाप हुई। जब जापान के पिएम ने कहा की अगर आप हमें एक सालके लिए आपका पिछड़ा हुआ राज्य देते तो हम उसे जापान जैसा ही बना देंगे। लेकिन हमारे पिएम ने कहा, अगर आप जापान हमें सिर्फ़ एक महीने के लिए दे दो हम उसे हमारे पिछड़े हुए राज्य जैसा ही बना देंगे।



हमारे देश में सरकार का चुनाव करना हमारे लोगों के हाथ में हैं। फिर भी हम इतने पीछे क्यूँ? इसके लिए हमारे सिस्टम में परिवर्तन लाना जरुरी हैं। हम अगर दो ही पक्षों को चुनाव की अनुमति देते हैं तो हमारे पास एक विकल्प होता की कौन से पार्टी को जिताना हैं, और क्यूँ? हमारे एहां जनमत का विभाजन सही तरीकेसे नही होता। क्यूँ की एक जगह के लिए दस दस उम्मीदवार खड़े होते हैं। और हम सही अंदाज नही लगाते की किसको जिताना हैं। और इसी तरह हम हमारे प्रगति का रास्ता बंद कर देते हैं। अगर हमारे पास अगर दो में किसी एक का चुनाव करना होता तो हम निश्चिंत होकर किसी एक को जिताते। और हमें सही नापतोल मिलता की कौन कितना सही हैं। किसने अच्छा काम किया हैं। अगली बार किसे जिताना हैं।



क्या हम सब इससे सहमत हैं। हमें पहले यह जानना जरुरी हैं की क्या सही हैं क्या ग़लत हैं। अगर हम ऐसाकर पाते तो हमारा देश भी 'नोबल' नेताओं की दौड़ में सबसे आगे होगा। आज हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नही हैं। आज हमारे वैज्ञानिक विदेश में रहकर नोबल पुरस्कार जित रहे हैं। हम यह चाहते हैं की ओ स्वदेश में रहकर जीते। इस राम, बुद्ध , और नानक की धरती का अपमान करना छोड़कर, यह सोचने की जरुरत हैं की इस समस्यासे कैसे निपट सकते और इसके लिए हमें क्या करना चाहियें? मुझे तो नही लगता की की हमारा देश उस नेता की सोच से ज्यादा गंदा हैं। अब सोचो नोबल पुरस्कार किसे .......