चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह । जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥
जब आदमी को लगता हैं की, मुझे यह चाहिए, मुझे वो चाहिए, लेकिन मिलता वही हैं, जो आपको मिलना है। हमारी चाहतों की कोई सीमा रेखा नहीं होती, लेकिन हर एक को कुछ ना कुछ चाहिए होता, जो आदमी पैदल चलता हैं उसे साइकिल की जरुरत होती है। जिसके पास साइकिल हैं उसे मोटर साइकिल की जरुरत होती हैं। और उसके बाद कार, बाद में कौनसी कार इसके लिए कोई भी सीमा नहीं।
संत कबीर कहते हैं,लेकिन दुनिया कोई ऐसा आदमी है जिसे कुछ भी नहीं चाहिए होता ओ तो राजा से भी बढ़कर हैं। उसके जैसा सुखी कोई नहीं हो सकता,होता भी नहीं और होगा भी नहीं
ऐसे इंसान राजा ही नहीं बल्कि भगवान् का रूप होते हैं, जैसे की भगवन बुद्धने आपना सर्वस्व त्याग कर जो मार्ग अपनाया। भारत में ऐसे बहुतसे महत्मा हो गए उनके बारे में जितना भी कहे वो बहुत ही कम है
जो असलियत में राजा है, वह सच है और संत कबीर ने राजा कहा है वही सत्य है।
जब आदमी को लगता हैं की, मुझे यह चाहिए, मुझे वो चाहिए, लेकिन मिलता वही हैं, जो आपको मिलना है। हमारी चाहतों की कोई सीमा रेखा नहीं होती, लेकिन हर एक को कुछ ना कुछ चाहिए होता, जो आदमी पैदल चलता हैं उसे साइकिल की जरुरत होती है। जिसके पास साइकिल हैं उसे मोटर साइकिल की जरुरत होती हैं। और उसके बाद कार, बाद में कौनसी कार इसके लिए कोई भी सीमा नहीं।
संत कबीर कहते हैं,लेकिन दुनिया कोई ऐसा आदमी है जिसे कुछ भी नहीं चाहिए होता ओ तो राजा से भी बढ़कर हैं। उसके जैसा सुखी कोई नहीं हो सकता,होता भी नहीं और होगा भी नहीं
ऐसे इंसान राजा ही नहीं बल्कि भगवान् का रूप होते हैं, जैसे की भगवन बुद्धने आपना सर्वस्व त्याग कर जो मार्ग अपनाया। भारत में ऐसे बहुतसे महत्मा हो गए उनके बारे में जितना भी कहे वो बहुत ही कम है
जो असलियत में राजा है, वह सच है और संत कबीर ने राजा कहा है वही सत्य है।