Wednesday, December 2, 2009

सहारा मिला था.....ग़ज़ल



तुफानोसें टकराकर दिलकी कश्ती को किनारा मिला था.
जिंदगी में पहली बार हमसफर का सहारा मिला था.

हरतरफ उलझे हुए चेहरे,पहचानना भी मुश्किल था.
राह पर चलते चलते एक बेनकाब चेहरा मिला था.

समां भी खुशी से समाया नही जा रहा था.
पल भर के लिए समय भी ठहरा मीला था.

गर्म हवा में भी मौसम सुहाना लगता था.
दोपहर की कड़ी धुप में भी कोहरा मिला था.

जिंदगी जीने का एक नयासा अंदाज़ मीला था.
सांसो की निगाह पर भी एक पहरा मिला था.

धड़कन की खुशबु का अहसास सासों में मीला था.
दिल पर गुनगुनाता हुआसा एक भवरा मिला था.

अब तो सांसे भी रुकी , उसे नया मोहरा मीला था.
धड़कन पर भी, अजनबीका पचम लहरा मीला था.