एक जंगल में चिड़िया रहती थी। सूखे के कारण वह दिन भर दाने की खोज में रहती थी। बहुत ही मुश्किल के बाद उसें एक दाल मिली जैसे ही दाल का दाना लेकर एक पेड़ पे बैठी थी। उसके चोच में से दाल फिसलकर पेड़ के खूंटे में अटक गई।
खूंटे खूंटे दाल दो, क्या खाऊ क्या पिऊ क्या ले परदेस जाऊ?
खूंटे ने दाल देने से मना किया, फिर चिड़िया बढई के पास गई।
बढई बढई खूंटा चिरो, खूंटे में दाल है,
क्या खाऊ क्या पिऊ, क्या ले परदेस जाऊ ?
बढई ने खूंटा चिर ने से मना किया।
फिर चिड़िया ने राजा के पास गई।
राजा राजा बढई दण्डो, बढाई ना खूंटा चीरे, खूंटे में दाल है,
क्या खाऊ क्या पिऊ क्या ले परदेस जाऊ ?
राजा ने सोचा इस मामूली चिड़िया की बात क्यूँ सुनु , राजा ने भी मना किया।
फिर चिड़िया ने रानी के पास गई।
रानी रानी राजा छोडो , राजा न बढाई दण्डे,
बढई न खूंटा चीरे, खूंटे में दाल है,
क्या खाऊ क्या पिऊ , क्या ले परदेस जाऊ?
रानी ने भी चिड़िया की बात नहीं सुनी।
फिर चिड़िया ने सांप के पास गई।
सांप सांप रानी डसों , रानी ना राजा छोड़े
राजा न बढाई दण्डे, बढई न खूंटा चीरे,
खूंटे में दाल है,
क्या खाऊ क्या पिऊ , क्या ले परदेस जाऊ ?
सांप ने भी चिड़िया की बात नहीं सुनी।
फिर चिड़िया ने लाठी के द्वार पर दस्तक दी।
लाठी लाठी सांप पीटो , सांप न रानी डसें
रानी न राजा छोड़े , राजा न बढाई दण्डे,
बढई न खूंटा चीरे, खूंटे में दाल हैं
क्या खाऊ क्या पिऊ , क्या ले परदेस जाऊ ?
चिड़िया परेशान हो गई लेकिन हिम्मत के साथ ओ चींटी के पास गई और अपनी पूरी दास्तान सुनाई
उसके बाद चींटी ने मदद करने का फैसला किया।
चींटी चींटी लाठी पीसो, लाठी न सांप पिटे,
सांप न रानी डसे,
रानी रानी न राजा छोडे , राजा न बढाई दण्डे,
बढई न खूंटा चीरे, खूंटे में दाल हैं,
क्या खाऊ क्या पिऊ, क्या ले परदेस जाऊ ?
फिर चीटियों की फौज लाठी के और बढी, लाठी सांप की और ,सांप रानी की ओर, रानी राजा की ओर,राजा ने बढई को हुक्म दिया की खूंटे को चिर कर दाल निकल दो. चिड़िया खुश हुई दाल लेकर परदेस चली गयी।