Tuesday, August 24, 2010

स्वंयरक्षा ही सुरक्षा

बंगलूरु एक बहुत ही तेजीसे बढ़ने वाले शहरों की दौड़ में शामिल हैं। आजसे दस साल पहले हैदराबाद के पीछे था। लेकिन अब जनगणना के अधार पे यह भारत का तीसरा बड़ा शहर माना जाता हैं। यहाँ हर रोज नए माँल और नए टावर्स खड़े होते हैं। हर टावर्स में कई ओफिसेस होते हैं। जैसा की कालटर्न टावर जो पुराने एअरपोर्ट रोड पे आता हैं। २३/०२/१० मंगलवार शाम चार बजे के आसपास जो हादसे ने एक नया मोड़ लीया था और हमारी सुरक्षा को ही कटघरे में खडा किया था। जहाँ हमारे जीवन की गाड़ी चलाने के लिए रोज आफिस जाते हैं लेकिन वहाँ हम कितने सुरक्षित हैं? क्या बहुमंजिला इमारतों में ऐसी कोई सुविधा नहीं हैं की हम आपातकालीन परिस्थिति में बहार आ सके। अगर सुविधा हैं तो लोगों को सातवी मजिल से कूद कर जान देने की नौबत क्यूँ आयी? और इस हादसे में नौ लोग मारें गए थे और तिस लोगों की हालत गंभीर थी और कई ल़ोग अस्पताल में दाखिल हुए थे। ना जाने ऐसे कई ल़ोग होंगे जो अपने बच्चों को या अपने चाहने वालों को यह बताकर आये होंगे की शाम को ऑफिस से घर जल्दी आया करूँगा । लेकीन उनकी शाम कही रुक गई थी। चाहने वालोंके सपने भी चूर चूर हो गए थे। क्या इस हादसे के लियें कौन हैं जिम्मेदार ? यह सवाल भी एक पहेली से कम नहीं।

तक़रीबन दस साल पहले की बात हैं। एल्क्ट्रिक शार्ट सर्किट की वजह से हमारे कंपनी में आग लगी थी और वह आग कुछ केमिकल की वजह से ज्यदाही फ़ैल गयी थी। सभी ल़ोग इधर से उधर भाग रहे थे क्यूंकि वहाँ इतना धुवा फैला था की कुछ भी ठीक तरह से दिखाई नहीं दे रहा था और पुरा प्यासेज धुवे से भर गया था जिससे साँस लेने में दिक्कत आ रही थी। आग के उस पार चार ल़ोग फसे थे। हमारा मुख्य उद्देश यह था की उन चार लोगोंको बचाना। मैंने बड़े ही सहास के साथ एक Fire extinguisher उठाया और बढती हुयी आग को काबू किया और हमारे कुछ सथियोने खिडकियोंके तोड़ कर धुवे को बहाव को कम किया था। उन चार लोगोंको बचा लिया था। यह सब होने के बाद fire brigade के कर्मचारी आयें और बुझे हुए आग पर पानी डालकर चले गए। यह एक हकीकत हैं जिस अनुभव से मैं गुजर चुका था। बाद में मुझे कंपनी से एक अवार्ड भी दिया गया था। यह बताना मैं इसलिए जरुरी हैं की आग लगने के बाद अन्दर हालात किस तरह बेकाबू हो जाते हैं और उस हालात में हम क्या कर सकते हैं।

इस घटना के मद्देनज़र कुछ सुरक्षा के उपाय बताना चाहता हूँ।
१) अपातकालीन दरवाजे या खिड़की पर ताला ना लगाएं और संकेतपत्र जरुर लगाए उस संकेतपत्र पर emergency exist लिखा होना चाहिए सभी संकेतपत्र लाल या हरे रंग में होने चाहियें।
२) आपात कालीन द्वार की ओर जाने के लिया दिशा दर्शक फलक जरुर लगाएं।
३) अपघात या आगजनी की घटनासे लोगोंको अवगत करने के लिए Fire siren लगायें। आपतकालीन स्थिति में ल़ोग इकट्ठा होने के लिए एक निश्चित जगह होनी चाहिए। आपातकालीन स्थिति में कैसे बहार आयें इसका प्रशिक्षण देना चाहियें।
४) कौन से समय में कौनसा Fire exitingusher का इस्तमाल करना चाहिए क्यूंकि बिजली से लगी आग पर पानी वाला Fire exitingusher नहीं चलाना चाहियें और इसका प्रशिक्षण नियमित अंतराल से देना चाहियें।
५) सुरक्षा के लिए एक समिति बनानी चाहियें जो इसका नियमीत अंतराल में प्रशिक्षण दे सके। और सभी नियमित अन्तराल से लेखापरिक्षण करना जरुरी हैं।

जिंदगी के सफ़र को ज़िंदा रखने के लीय हम काम करते हैं, जहाँ हम काम करते, उसेही हमें कर्मभूमि समझ कर कुछ सुरक्षा उपयों को ध्यान में रखे और अपनी सुरक्षा स्वयं करे। स्वंयरक्षा ही सुरक्षा हैं।