Saturday, September 25, 2010

हरे और सूखे पत्ते

इंसान का जीवन भी हरे और सूखे पत्तों की तरह हैं. जब सबकुछ हरा होता हैं सब लोग आपके साथ होते हैं यानि की सुख में सब आपके साथ होते हैं लेकिन दुःख में कोई आपके साथ नहीं होता |



 
पेड़ के निचे  गिरे हुए पत्तों पे  झुककर
हसतें हैं हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर 

शायद  उन्हें पता  नहीं  उस दिन का
अंदाज नहीं कर पाते हैं उस क्षण का
एक दिन निचे गिरेंगे वो भी सुखकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर
 
हवा के साथ मिलकर मस्ती में जीते हैं
जहर जिंदगी का मस्ती में वो पीते हैं
जैसा की बैठे हैं  झूले में मजे ले लेकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर



यहाँ रोने वाले का ना कोई साथ देता
उन्हें अपने साथ साथ कोई नहीं लेता
हवा भी उड़ा देती उन्हेंही  लात मारकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर

बारिश का पानी भी उन्हेंही नहलाता हैं
हसने वालें  दिल को ही बहलाता हैं
और इन्हें ले जाता हैं धक्का दे देकर
हसतें वो हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर


उन्हें पता नहीं, सूरज की  धार का
उन्हें पता नहीं, रौशनी की  मार का 
यही हाल होगा एक दिन निचे गिरकर
हसतें वो हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर