Wednesday, November 4, 2009

VANDE MATARAM

जब  इंसान जैसा प्राणी धरती पर आकर अपने आपको सीमाओं में बांटता चला गया. सबसे पहले घर की सीमा बाद में अपने गाँव की सीमा फिर तहशील की,जिल्हे की,राज्य  की, फिर देश की.
      लेकिन कुछ दिनों बाद यह सीमाएं बढती गई और लोगों की विचारधारा की जिसे हम "समुदाय"  कहते तो बेहतर होगा क्यूँ की हम इसे "धर्म" तो कदापि नहीं कह सकते. धर्मं का मतलब ही अलग हैं. जब हम हिन्दू, इस्लाम, सिख या इसाई, इनके सामने धर्म शब्द का उपयोग करना  उचित नही होगा, तो समझ लेना की हमें  धर्म का  सही अर्थ मालूम ही  नहीं. शायद  हमारी  धारनाए बहुत  ही गलत हैं.  क्यूँ की धर्म का मतलब ही  अलग हैं, जो सत्य शब्द का समंतार रूप हैं.  अभी सत्य किसी एक समुदाय का प्रतिक तो नहीं हो सकता. अब हमें  एक पर्यायी   शब्द सोचना होगा जो हर समुदाय को जोड़ सके या  समांतर अर्थ दे सके. मेरे हिसाब से धारणा एक शब्द है जो किसी भी समुदाय को जोड़ा जा सकता हैं .  यहाँ  धारणा शब्द का प्रयोग उचित होगा,जैसा की हिन्दू धारणा  इसी प्रकार इसाई या इस्लामी धारणा,  शब्द प्रयोग कर सकते हैं.
स्वधर्मे निधनम् श्रेयहा  | परधर्मो भयावहा |
अब यहां धर्म का मतलब ,जब कोई गलत काम कर रहा हैं तो  उसे रोकना,  इंसान का धर्म होता हैं,धर्म हैं और रहेगा.  इसे  ही हम स्वधर्म कह सकते हैं.  अगर आप स्वधर्म में जियोगे  तो श्र्येय होगा. हम सत्य के साथ अपना जीवन व्यतीत करना चाहते तो धर्म के यानि सत्य के साथ मरना ही  उचित होगा .अगर आप किसी अधर्म के साथ जीवन व्यतीत करते  हैं तो वह भयानक या भयभित होगा.
      गीता के पहले अध्याय में भी येही कहा गया हैं. जो धर्मक्षेत्र जैसे कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडव की सेना खड़ी थी. अब सोचने बात यह हैं की,उस क्षेत्र को धर्म क्षेत्र क्यूँ कहा गया हैं? कुरुक्षेत्र तो ठीक हैं लेकिन धर्मं क्षेत्र क्यूँ ? इसका एक ही मतलब, जहाँ हम सत्य के लिए लड़ते  हैं.  या सत्य के लिए लड़ रहे हैं वही हमारा  धर्मं क्षेत्र कहलाता हैं.
आज हम देखते हैं यहाँ  अलग अलग धारणा के लोग रहते हैं. सत्य तो यह हैं की सब लोग खाते हैं, पीते हैं,हासते हैं रोते हैं. क्या हम कहते हैं फलां आदमी इस्लाम  है ओ सोता नहीं, फला आदमी इसाई हैं ओ कभी रोता नहीं, या फला आदमी हिदू हैं, खाना खाए बिना ही रहता हैं. जी नहीं! हम सब इंसान हैं हमारे  नियम  हम बना सकते हैं.  फलां आदमी हिदू है ओ बिना प्राणवायु  के जीता हैं और फलां आदमी इसाई  हैं ओ बिना पानी के रह सकता हैं.
आज देश को जरुरत हैं उस धर्म की जो सत्य का रास्ता दिखा  सके. क्या यही  हमारा  धर्म नहीं हैं ?
       आज देश में कितने लोग ऐसे हैं जिनको दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती.  लेकिन हम हमारी धारणा में ऐसे जकडे हुए हैं की हमें उसके सिवा कुछ दिखता ही नहीं. हम रोज एक नया किस्सा बनाते और बताते हैं.
जैसा की "वन्दे मातरम्" हमें पहले यह जानना जरुरी हैं की, वन्दे मातरम का अर्थ क्या हैं.इसका सरल अर्थ तो यह हैं की, हम अपने वतन को नमन करते,या प्रणाम करते. मेरे हिसाब इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.
     मेरे  और आपके  मानने या ना  मानने से क्या होगा?  कुछ नहीं! हम दिल से जिसे मानते वही हमारा वन्दे मातरम हैं................ वही वन्दे मातरम हैं.