Sunday, July 31, 2011

जीतें हैं हम यहाँ......


जीतें हैं हम यहाँ जीने की एक  आस लिए !
जिंदगी  में अटकी अपनी एक सास लिए !!
 

आज नहीं तो कल की एक सोच लिए !
ढुन्डते सुकून को एक नया अहसास लिए!!
 

घर से जब बाहर  निकलते रोज़ी के लिए !
जीते हैं जैसें की चलती फिरती लाश लिए !!

इंसानी जान की कीमत की कीमत लिए !
खेल लेते हैं वो अपना दावं एक ताश लिए !! 

उन्हें कुछ गम नहीं जीते हैं वो अपने लिए !
जुबान चलातें हैं कुछ पाने की तलाश लिए !!

हादसे रोक नहीं सकते, जाँ  की कीमत लिए !
मरते हैं इस हमलें में, जान अपने पास लिए !!

बेपरवाह होकर जुबान चलाते कुछ पाने के लिए !
खूनका कीचड़ उछालते हाथ में एक पाश लिए !!

बेशर्म  मांगने आते हैं हात में  कलश लिए !
फिर से कुर्सी पर बैठने का एक रास लिए !!