हम हिन्दुस्तानी हैं। इसका हमें गर्व हैं। सबसे पहले हमें यह सोचना जरुरी हैं की,क्या हम अपनी विचारधारा का विभाजन कर रहें हैं? या देश का ? किसी भी हिन्दुस्तानी को गर्व के साथ कहना चाहिए की हम भारतीय हैं। आज हमारी भाषा, हमारा रहनसहन अलग हैं। हम कभी कभी यह गलती कर बैठते हैं की , सचिन जैसे महान खिलाड़ी को भी हम सीमारेखा के बोज़ तले दबा देते, और ओ कह नही सके की हम हिन्दुस्तानी हैं। कौन हैं इस के लिए जिम्मेदार? मैं यहाँ किसी एक आदमी का नाम नही लेना नही चाहता क्यूँ की इसमे हम सब शामिल हैं। ऐसी ख़बर को हम चस्का लगाकर सुनते, पढ़ते और देखते हैं। इसके साथ हमारा मीडिया भी उतना ही जिम्मेदार हैं। क्यूँ की एक हिन्दुस्तानी को यह बताने की नौबत क्यूँ आई की हिन्दुस्तानी हूँ। क्या हमें उस पर शक कर रहे हैं? या जानबुझकर महनायक को किसी विवादों में खिंचकर क्या साबित करना चाह्ते हैं ?
इन सभी बातों का मेरे पास जवाब हैं। हमारा मीडिया पहले चिंगारी लगाकर उसपे दिन रात तेल डालते रहता हैं। क्या इन सब बातों की कोई सीमा हैं ही नही ? आज भारत देश में हजारो समस्याए हैं। जो कही ऐसे गाँव हैं, जहाँ अभी तक पिने का पाणी, या सड़क आदि , ऐसे और बहुत ही मुद्दे हैं। जिसे मीडिया लोगों के सामने ला सकता हैं। लेकिन नही, हमारे मीडिया को सनसनीखेज किस्से चाहिए, जो की एक बड़ी ख़बर बनाकर उसे पेश कर सके। उसके लिए, किसी महान खिलाड़ी या महानायक का चुनाव करके अपने रेट के साथ साथ अपने समाचार पत्र या चैनल का भी जोर शोर से इस्तमाल करते हैं। प्रजातंत्र में मीडिया स्थान बहुत ही ऊँचा हैं। क्या हमारा मीडिया महान हस्तियों का इस्तमाल टीआरपि के लिए नही कर रहा हैं? शायद आज हमारे देशवाशियों को फिरसे राष्ट्र गीत सुनाने की जरुरत है। जिसमे सभी प्रान्तों का वर्णन हैं। क्या हमारा मीडिया का समतल इतना गिर गया की, किसी भी व्यक्ति का इस्तमाल कर के उस ख़बर को बढ़ा चढा कर लोगों को बताते हैं।
मीडिया में बहुत ही प्रतिस्पर्धा हैं लेकिन, इसका मतलब यह तो हरगिज़ नही की, ख़बर का इस्तमाल करके किसको दिखाना चाहते हैं, की हम भारतीय एक नही। हम मीडिया वाले से यह गुजारिश करना चाहतें हैं की, यह सभी खबरे हमारे पड़ोसी मुल्क के लोग भी देख रहे हैं। जो इसका फायदा जरुर उठाएंगे। आतंकवादी भी आपके ख़बरों का जायजा ले रहे हें। दुनीया में हमारा देश ही एक ऐसा देश है की, जहाँ वन्दे मातरम् के खिलाप आप कुछ भी कह सकते हैं। क्यूँ की हमने कई सीमाए बनाई है। जिसे हम देश से भी बड़ा समझते हैं। जैसा की हमारा राज्य देश से बड़ा हैं। या हमारे वसूल,हमारे नियम और हमारी मान्यताए , क्या यह सब देश से बड़े हैं? या हमारा मीडिया इससे बड़ा हैं? सुनो देश यानि एक जमीं का टुकड़ा नही बल्कि देश यानि हम लोग। हम हिन्दुस्तानी।