Saturday, October 23, 2010

शुभ हो दिवाली...


आज जरुरत हैं एक "राम" की
मनानी  हैं दिवाली उस काम की

हर जगह "रावण" मिलते है,
"सीता" को देखकर हिलते हैं
रक्षा करे "सीता" के नाम की
आज जरुरत हैं एक "राम" की

हर जगह फैले हैं यह असुर
बेकाबू दौड़ रहे हैं होकर बेसुर
जरुरत हैं असूर को लगाम  की
आज जरुरत हैं एक "राम" की

गली गली में अँधेरे का  शोर हैं
रौशनी को बनाना चितचोर हैं
राह दिखानी हैं एक अंजाम की
आज जरुरत हैं एक "राम" की

मन के हर घर में हो उजाला
हर घर में हो दीपक की माला
तलाश हैं एक घनी शाम की
आज जरुरत हैं एक "राम" की

मन में लेकर प्रकाश की आशा
दीपक जल उठते हैं हर दिशा
शुभ हो दिवाली इस आम की
आज जरुरत हैं एक "राम" की

2 comments:

  1. हर जगह फैले हैं यह असुर
    बेकाबू दौड़ रहे हैं होकर बेसुर
    जरुरत हैं असूर को लगाम की
    आज जरुरत हैं एक "राम" की
    आज के परिवेश मे सटीक रचना । शुभकामनायें।

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  2. bahut hi saar garbhit aaj ke samay ki sachchaai aur raam ke naam ko saarthak karti kavitaa

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