लगभग २००० करोड़ रुपयोंमें बनी होलीवूड पिक्चर 'अवतार'
रिलीज होनेवाली हैं. जो एलीयन के कहनियों पे आधारित हैं. एलीएन पे फिलमाए गए बहुतसे पिक्चर रिलीज हुये और बॉक्स ऑफिस पर बहुत सारा पैसा भी बटोरा. लेकिन समझनेवाली बात यह हैं की क्या सच में एलीयन हैं? और ओ कहाँ हैं ? कैसे हैं क्या खाते होंगे? और क्या पीते होंगे? बहुत सारे सवाल.
महाभारत में इसी आधार पर एक कहानी हैं. एक बार भागवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बिच बहस चल रही थी की ब्रहमांड की उत्पति कैसे हुई और भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा की तुम्हारे इस सारे सवाल का जवाब सिर्फ बकादल्व्ये ऋषि ही दे सकते हैं.
फिर अर्जुन और किशन भगवान बकादल्व्ये मुनि के पास पहुँच गए. महर्षि ने कहा "इसका सरल उत्तर तो केवल ब्रह्मा ही दे सकते हैं". फिर तीनो मिलकर ब्रह्माके पास गए उन्हें यह जानना था की ब्रहमांड की उत्पति कैसे हुयी. ब्रम्हा ने बड़ेही गर्व के साथ कहने लगे " मैंने ही यह दुनिया बनाई हैं".
कुछ ही पलों में एक बड़ा चक्रवात आया और चारों ही उड़कर एक अलग दुनिया में पहुँच गए वहां के लोग बहुत ही विचित्र थे और इन लोगोंको देखकर हसने लगे. पूछने लगे की तुम कौन हो? एहां कैसे ? फिर ब्रहमदेव ने कहा "मैं ब्रहमांड रचानेवाल ब्रहमदेव हूँ ". ओ लोग हस पड़े और उन्होंने कहा "हमारा ब्रह्मा तो अलग ही हैं"
देखते देखतेही यह खबर उस दुनिया के ब्रह्मा के पास गई. दूसरी दुनिया का ब्रम्हा बहुत ही क्रोधित हुआ और तुरन्त पहले ब्रह्मा के पास आया. उस ब्रह्मा को देखकर कृष्ण, अर्जुन और सब साथी चकित रह गए, क्यूँ की उस ब्रह्मा को ८ चेहरे थे. अष्टमुखी ब्रह्मा जैसेही इनको देख कर हस पड़ता हैं और कहता हैं की 'मैं ही इस ब्रहमांड का रचिता हूँ'.
फिर से एक बड़ा चक्रवात आया और देखते देखतेही सब तीसरी दुनिया में पहुँच गए. ओ भी सीधा तीसरे ब्रह्मा के द्वार पर, और वहां उन्हें जो ब्रह्मा देखा उसको १६ चेहरे थे. इन्हें देखकर तीसरे दुनिया का ब्रह्मा हसने लगा, और पूछने लगा 'तुम कौन हो ऐसे भयानक ? और खुदको परिचित करते हुए उसने कहा 'मैं ब्रम्हा हूँ इस ब्रहमांड की रचना मैंने ही की हैं'.
और एक बड़ा चक्रवात आया और देखते देखतेही सब चारवी दुनिया में पहुँच गए. ओ भी ब्रह्मा के द्वार पर, और वहां उन्हें जो ब्रह्मा देखा उसको ३२ चेहरे थे. इन्हें देखकर चारवी दुनिया का ब्रह्मा हसने लगा, और पूछने लगा 'तुम कौन हो ?कौनसी दुनियासे आये हो? और खुदको परिचित करते हुए उसने कहा "मैं ब्रम्हा हूँ और ब्रहमांड का निर्माण मेरे ही शुभ हतोंसे हुआ हैं"
उतने में और एक बड़ा चक्रवात आया और देखते देखतेही सब पांचवी दुनिया में पहुँच गए और ओ भी सीधे पांचवे ब्रह्मा के द्वार पर, और वहां उन्हें जो ब्रह्मा दिखा उसको ६४ चेहरे थे. इन्हें देखकर पांचवी दुनिया का ब्रह्मा हसने लगा, और पूछने लगा तुम कौनसे जिव हो? कहांसे आये हो? और आपकी कौनसी दुनिया हैं? ६४ मुह वाला ब्रह्मा बड़े ही घमंड से कहने लगा "मैं ब्रम्हा हूँ इस ब्रहमांड की रचना मैंने ही की हैं".
यह सिलसिला चलता ही रहा, इसी प्रकार अलग अलग ब्रहमांड से गुजरते हुए आखिर में और एक ब्रह्मा के पास पहुँच गए, उसको १००० चेहरे थे. फिर सहस्रमुख के ब्रम्हा ने सभी का स्वागत किया और एक बड़े सभा का आयोजन किया. आप सभी इस ब्रहमांड रचनाकार हैं.आप सभी के साथ ही मैं हूँ. यह बात सुनकर सभी ब्रह्म्देओको अपना अभिमान याद आया और यह भी मालूम हुआ एहां कोई भी बड़ा नहीं सबके लिए अपना अपना स्थान हैं. और उस स्थान की एक सीमा हैं. लेकिन उस सीमा के आप हक्कदार नहीं बल्कि सिर्फ रचिता हैं.
सवाल यह हैं की क्या ओ जो दुसरे दुनिया के ब्रह्मा थे, क्या ओ एलियन तो नहीं थे ? जी हाँ इस कहानी के पीछे जो सन्देश छिपा हैं,ओ यह हैं की इस ब्रहामंड में तुमसे भी अलग और बड़े जिव हैं. इस लिए घमंड मत करो की हमारी दुनियाही सबकुछ हैं.
ज़रा सोचो हमारे ग्रंथो में सब कुछ हैं. "अवतार" की कहानी भी एहांपर ही मिलती हैं. यही हैं, हमारे ज्ञान का भण्डार और कहानियों का शब्दकोष जहाँ हर शब्द में कई कहानियां हैं. फर्क तो इतनाही हैं की, हम उसकी रुपरेखा बदलकर दिखाते हैं,जैसा की "अवतार" में जो कहानी दिखाई गई हैं. अगर हम इस महाभारत की कथा का उपयोग नये ढंग से, या ब्रह्मा के जगह एलियन को बताकर करते हैं तो जरूर बनेगा 'अवतार' का महाभारत.