क़रीब से देखो तो आईना भी रोता है,
हर एक चेहरा यहाँ अपने ग़मों में खोता है।
मुस्कुराहटें होंठों पे रखनी पड़ीं हमें,
दिल तो हर सांस में सौ दफ़ा संवरता है।
किसी को क्या ख़बर रातों की तन्हाई का हाल,
चाँद भी छुप के अपने ज़ख़्मों को धोता है।
हमने चाहा बहुत किसी से कुछ कह पाएं,
मगर ये दिल भी अब बातों से डरता है।
मंज़िलें पास आकर भी दूर लगती हैं,
क्योंकि राहों में कोई अपना बिछड़ता है।
वफ़ा की चाहतें ले के आए थे कभी,
अब हर रिश्ता इक क़िस्सा सा लगता है।
Chat GPT द्वारा प्रस्तुत
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