Saturday, September 25, 2010

हरे और सूखे पत्ते

इंसान का जीवन भी हरे और सूखे पत्तों की तरह हैं. जब सबकुछ हरा होता हैं सब लोग आपके साथ होते हैं यानि की सुख में सब आपके साथ होते हैं लेकिन दुःख में कोई आपके साथ नहीं होता |



 
पेड़ के निचे  गिरे हुए पत्तों पे  झुककर
हसतें हैं हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर 

शायद  उन्हें पता  नहीं  उस दिन का
अंदाज नहीं कर पाते हैं उस क्षण का
एक दिन निचे गिरेंगे वो भी सुखकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर
 
हवा के साथ मिलकर मस्ती में जीते हैं
जहर जिंदगी का मस्ती में वो पीते हैं
जैसा की बैठे हैं  झूले में मजे ले लेकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर



यहाँ रोने वाले का ना कोई साथ देता
उन्हें अपने साथ साथ कोई नहीं लेता
हवा भी उड़ा देती उन्हेंही  लात मारकर
हसतें हैं  हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर

बारिश का पानी भी उन्हेंही नहलाता हैं
हसने वालें  दिल को ही बहलाता हैं
और इन्हें ले जाता हैं धक्का दे देकर
हसतें वो हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर


उन्हें पता नहीं, सूरज की  धार का
उन्हें पता नहीं, रौशनी की  मार का 
यही हाल होगा एक दिन निचे गिरकर
हसतें वो हरे पत्ते, सुखे पत्तों को देखकर 

Thursday, September 23, 2010

कॉमन का कॉमन वेल्थ

मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ
इस लिए तो आसुओं  के पानी में बहता हूँ

हाल अपना किसे कहे, अलग हैं उनकी चाल   
नेता ल़ोग मस्त हैं लूटकर "कॉमन" का  माल
मैं तुम्हे बार बार पुकार कर यही कहता हूँ
मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ

देश की इज्जत को भी दांव पर लगाते हैं
"कॉमन वेल्थ"  से ही " कॉमन" को ठगातें हैं
"सीमेन्ट"की पुल की तरह मैं भी यहाँ ढहता हूँ
मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ

ल़ोग यहाँ  रोटी की तलाश में रह जाते हैं
लेकिन नेता  ल़ोग यहाँ सब कुछ खाते हैं
"कॉमन वेल्थ" की चिंता दिन रात करता हूँ
मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ

हर शहर का हाल भी यहाँ  ही बेहाल हैं
हर सडक में गड्डो की एक नई मिसाल हैं
क्या होगा इस देश का, सोचकर डरता हूँ
मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ

सोचता हूँ, मुझे भी चुनाव का वक्त आयेगा
"कॉमन" क्या करेगा तु सोचता रह जाएगा
तुझे मारना हैं इस लिए आज मैं मरता हूँ
मैं "कॉमन" हूँ इसलिए सब कुछ सहता हूँ