Friday, October 23, 2009

बन्दर और टोपीवालें का बेटा

    यह दूसरे "जनरेशन" की कहानी है | एक गाँव में टोपियाँ बेचने वाला रहता था | वह अपनी पुरानी साइकिल पर सवार हो कर, पीछे कैरियर में एक बडासा  बक्सा लेकर,  और इस बक्से में टोपियाँ बेचकर ओ अपनी  रोजी रोटी कमाता था | उसके पिताजी हमेशा उसे बताते  थे की, बेटे इस धंधे में हमेशा सावधान रहना चाहिये क्योंकि, मैं एक बार बुरी तरह फस गया था | अब तुम्हारे पास साइकिल तो है, मैं तो  गाँव गाँव पैदल जा कर  टोपियाँ बेचता था | एक दिन की बात है जब दोपहर का समय था | धुप अपनी जवानी दिखा रहा था| पास में बडा  इमली का पेड़  देखकर  कुछ देर के लिए  आराम करते करते  मुझे नींद लग गई | जब मैं नींद से उठा तो मेरी गठडी में से पुरे टोपियाँ  ग़ायब थी|  मै थोडासा हडबडा गया और उप्पर  पेड़ पे देखा तो ५० के करीब बन्दर थे,और हर एक के सर पे एक एक टोपी थी | जब मैंने बंदरों को गुजारिश  की मेरी टोपियाँ  निचे फेंके,  पर बंदरोने माना नहीं |  मैंने  बंदरों  को हुकलाया,  तो ओ उल्टा मुझे ही हुकलाने लगे | मैंने पत्थर फेककर डराने  की फिजूल कोशिस कर रहा था,  बंदरों का जवाब भी उसी तरह था | मेरे कोशिशों से  बन्दरों को  मनाया जा सके, लेकिन मैं विफल रहा फिर मैंने गुस्से में आकर मेरे सर की टोपी निकाल कर जमीं पर  फेक दीं | इसी तरह सभी बअन्दारोने  आपने आपने सर की सभी टोपिया निचे फेक दी | फिर मैंने सभी टोपियाँ इक्कठा करके वहां से चल दिया |

            बाप की पुरानी  यादों में सोचते सोचते बेटे को नींद लग गई|  जैसे ही  ओ नींद से जागता है तो पुरे टोपियाँ  गायब थी| जैसे ही उप्पर नज़र उठाकर देखता है तो वही पुरानी  कहानी,  सभी बंदरोने  अपने अपने सर पे एक एक टोपी पहन रखी थी | लेकिन अब ओ खुश था क्यूंकि उसके पास पिताजी की दी हुई तरकीब थी | उसी तरकीब का इस्तेमाल करके वह टोपियाँ  वापस लेने के लिए अपने सर की टोपी निचे फेक दी | लेकिन बन्दोरोने  ऐसा  कुछ भी नहीं किया ना तो टोपियाँ निचे फेकीं ना  हीं जगह से हिले|  अब टोपीवालें  को पसीना आ रहा था,और वो सोच में पड़ गया की क्या मेरे अब्बू ने गलत सलाह तो नहीं दी ? वह बहुत ही निराश  होकर देखता रहा और सोच में पड़ गया की यह कैसे  हुआ ? उतने में वहां से एक राही जा रहा था इसे परेशां  देख कर पुछा क्या हुआ भाई ? क्यूँ परेशां हो? टोपीवालेनी आपनी पूरी दास्ताँ सुनाई |

        राही हसकर बोला "अरे बाबा वह तकनीक पुरानी हो गई है,और यह बन्दर भी पूरी तरहसे वाकिफ है |
 जैसे ही तुम्हरे बापू तुम्हे सिखाया, ठीक उसी तरह बन्दोरोंके  बापू ने  भी वही कहानी सुनाकर उन्हें आधुनिक   बनाया हैं |  अगर तुम्हे टोपियाँ हासिल करना हो तो कुछ नया तारिक सोचना होगा,नया तरिका सोचो | क्यूँ की वक्त के साथ साथ हमें भी बदलना पड़ता हैं।



1 comment:

  1. सही है समय के साथ जिन्दगी जीने का सलीका भी बदलता जाता है..

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