यह दूसरे "जनरेशन" की कहानी है | एक गाँव में टोपियाँ बेचने वाला रहता था | वह अपनी पुरानी साइकिल पर सवार हो कर, पीछे कैरियर में एक बडासा बक्सा लेकर, और इस बक्से में टोपियाँ बेचकर ओ अपनी रोजी रोटी कमाता था | उसके पिताजी हमेशा उसे बताते थे की, बेटे इस धंधे में हमेशा सावधान रहना चाहिये क्योंकि, मैं एक बार बुरी तरह फस गया था | अब तुम्हारे पास साइकिल तो है, मैं तो गाँव गाँव पैदल जा कर टोपियाँ बेचता था | एक दिन की बात है जब दोपहर का समय था | धुप अपनी जवानी दिखा रहा था| पास में बडा इमली का पेड़ देखकर कुछ देर के लिए आराम करते करते मुझे नींद लग गई | जब मैं नींद से उठा तो मेरी गठडी में से पुरे टोपियाँ ग़ायब थी| मै थोडासा हडबडा गया और उप्पर पेड़ पे देखा तो ५० के करीब बन्दर थे,और हर एक के सर पे एक एक टोपी थी | जब मैंने बंदरों को गुजारिश की मेरी टोपियाँ निचे फेंके, पर बंदरोने माना नहीं | मैंने बंदरों को हुकलाया, तो ओ उल्टा मुझे ही हुकलाने लगे | मैंने पत्थर फेककर डराने की फिजूल कोशिस कर रहा था, बंदरों का जवाब भी उसी तरह था | मेरे कोशिशों से बन्दरों को मनाया जा सके, लेकिन मैं विफल रहा फिर मैंने गुस्से में आकर मेरे सर की टोपी निकाल कर जमीं पर फेक दीं | इसी तरह सभी बअन्दारोने आपने आपने सर की सभी टोपिया निचे फेक दी | फिर मैंने सभी टोपियाँ इक्कठा करके वहां से चल दिया |
बाप की पुरानी यादों में सोचते सोचते बेटे को नींद लग गई| जैसे ही ओ नींद से जागता है तो पुरे टोपियाँ गायब थी| जैसे ही उप्पर नज़र उठाकर देखता है तो वही पुरानी कहानी, सभी बंदरोने अपने अपने सर पे एक एक टोपी पहन रखी थी | लेकिन अब ओ खुश था क्यूंकि उसके पास पिताजी की दी हुई तरकीब थी | उसी तरकीब का इस्तेमाल करके वह टोपियाँ वापस लेने के लिए अपने सर की टोपी निचे फेक दी | लेकिन बन्दोरोने ऐसा कुछ भी नहीं किया ना तो टोपियाँ निचे फेकीं ना हीं जगह से हिले| अब टोपीवालें को पसीना आ रहा था,और वो सोच में पड़ गया की क्या मेरे अब्बू ने गलत सलाह तो नहीं दी ? वह बहुत ही निराश होकर देखता रहा और सोच में पड़ गया की यह कैसे हुआ ? उतने में वहां से एक राही जा रहा था इसे परेशां देख कर पुछा क्या हुआ भाई ? क्यूँ परेशां हो? टोपीवालेनी आपनी पूरी दास्ताँ सुनाई |
राही हसकर बोला "अरे बाबा वह तकनीक पुरानी हो गई है,और यह बन्दर भी पूरी तरहसे वाकिफ है |
जैसे ही तुम्हरे बापू तुम्हे सिखाया, ठीक उसी तरह बन्दोरोंके बापू ने भी वही कहानी सुनाकर उन्हें आधुनिक बनाया हैं | अगर तुम्हे टोपियाँ हासिल करना हो तो कुछ नया तारिक सोचना होगा,नया तरिका सोचो | क्यूँ की वक्त के साथ साथ हमें भी बदलना पड़ता हैं।
बाप की पुरानी यादों में सोचते सोचते बेटे को नींद लग गई| जैसे ही ओ नींद से जागता है तो पुरे टोपियाँ गायब थी| जैसे ही उप्पर नज़र उठाकर देखता है तो वही पुरानी कहानी, सभी बंदरोने अपने अपने सर पे एक एक टोपी पहन रखी थी | लेकिन अब ओ खुश था क्यूंकि उसके पास पिताजी की दी हुई तरकीब थी | उसी तरकीब का इस्तेमाल करके वह टोपियाँ वापस लेने के लिए अपने सर की टोपी निचे फेक दी | लेकिन बन्दोरोने ऐसा कुछ भी नहीं किया ना तो टोपियाँ निचे फेकीं ना हीं जगह से हिले| अब टोपीवालें को पसीना आ रहा था,और वो सोच में पड़ गया की क्या मेरे अब्बू ने गलत सलाह तो नहीं दी ? वह बहुत ही निराश होकर देखता रहा और सोच में पड़ गया की यह कैसे हुआ ? उतने में वहां से एक राही जा रहा था इसे परेशां देख कर पुछा क्या हुआ भाई ? क्यूँ परेशां हो? टोपीवालेनी आपनी पूरी दास्ताँ सुनाई |
राही हसकर बोला "अरे बाबा वह तकनीक पुरानी हो गई है,और यह बन्दर भी पूरी तरहसे वाकिफ है |
जैसे ही तुम्हरे बापू तुम्हे सिखाया, ठीक उसी तरह बन्दोरोंके बापू ने भी वही कहानी सुनाकर उन्हें आधुनिक बनाया हैं | अगर तुम्हे टोपियाँ हासिल करना हो तो कुछ नया तारिक सोचना होगा,नया तरिका सोचो | क्यूँ की वक्त के साथ साथ हमें भी बदलना पड़ता हैं।
सही है समय के साथ जिन्दगी जीने का सलीका भी बदलता जाता है..
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