Saturday, October 24, 2020

हे राम तुम फिर आना....




हे राम तुम फिर आना, 

अत्याचार युक्त इस रावणसे,

सीता को बचाना, 

जानकी को बचाना।  


हे राम तुम फिर आना, 

जो भाई का स्वरुप, 

विचारों का लक्ष्मण  बनाना,

आचारो का लक्ष्मण बनाना। 


हे राम तुम फिर आना, 

जो भक्त साथ देता,

विचारों में हनुमान लाना,

आचारों  में हनुमान लाना। 


हे राम तूम  फिर आना,

खाली  विजयादशमी को नहीं,

तुम हर रोज आना, 

तुम हर क्षन आना। 


हे राम तुम फिर आना, 

खंडित  पीड़ित सीता जैसे, 

अबलाओं को बचाना, 

प्रताड़ितों को बचाना। 


हे राम तुम फिर आना,

असुर रावण को जलाना।

तुम विचारों में आना, 

तुम आचारों में आना।  


रावण रूपी पुतला नहीं, 

बल्कि रावण रूपी, 

विचारों को जलाना,

आचारों को जलाना। 


हे राम तुम फिर आना, 

केवल एक दिन नहीं, 

तुम हर रोज़ आना, 

हे राम तुम फिर आना।