आज नहीं तो कल की एक सोच लिए !
ढुन्डते सुकून को एक नया अहसास लिए!!
घर से जब बाहर निकलते रोज़ी के लिए !
जीते हैं जैसें की चलती फिरती लाश लिए !!
इंसानी जान की कीमत की कीमत लिए !
खेल लेते हैं वो अपना दावं एक ताश लिए !!
उन्हें कुछ गम नहीं जीते हैं वो अपने लिए !
जुबान चलातें हैं कुछ पाने की तलाश लिए !!
हादसे रोक नहीं सकते, जाँ की कीमत लिए !
मरते हैं इस हमलें में, जान अपने पास लिए !!
बेपरवाह होकर जुबान चलाते कुछ पाने के लिए !
खूनका कीचड़ उछालते हाथ में एक पाश लिए !!
बेशर्म मांगने आते हैं हात में कलश लिए !
फिर से कुर्सी पर बैठने का एक रास लिए !!